tag:blogger.com,1999:blog-915406722634914046.post5520328543103020943..comments2011-04-01T06:40:55.244-07:00Comments on अपनी बात: अमेरिका: दोस्त या दुश्मन?apni baathttp://www.blogger.com/profile/08920512051129340435noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-915406722634914046.post-42819412114276744392010-09-11T20:57:33.683-07:002010-09-11T20:57:33.683-07:00जिस देश में बेरोजगारी अपने पैर पसार रही हो वह देश ...जिस देश में बेरोजगारी अपने पैर पसार रही हो वह देश कैसे दूसरे देश के हितों के बारे में सोचेगा? हम हमेशा दूसरों से क्यों उम्मीद रखते हैं कि वे हमारे बारे में सोचे। हम क्यों नहीं अपने बारे में सोचते हैं? इस देश में एक प्रांत से दूसरे प्रांत को नौकरी देने पर बवाल मचता है तो अमेरिका कैसे दूसरे देश में अपना व्यापार जाने देगा? यहाँ का नागरिक यदि अमेरिका में जाकर बसता है और भारत में सस्ता व्यापार ढूंढता है तो उसे टेक्स देना ही पड़ेगा। ऐसा कैसे हो सकता है कि वह व्यक्ति ना तो अपनी शिक्षा का टेक्स भारत को दे और ना ही व्यापार का टेक्स अमेरिका को। आउट सोर्सिग में यदि एक भारतीय 1000 डॉलर अमेरिका से वसूलता है तो केवल भारत में 100 डॉलर ही खर्च करता है। इस पक्ष पर भी ध्यान दें। यदि भारत स्वयं में सुदृढ होगा तब हमें किसी के आगे फरियाद करने की आवश्यकता नहीं होगी अपितु दूसरे हमारे से फरियाद करेंगे।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.com